Subscribe to:
Post Comments (Atom)
प्रस्फुटन शेष अभी - एक गीत
शून्य वृन्त पर मुकुल प्रस्फुटन शेष अभी। किसलय सद्योजात पल्लवन शेष अभी। ओढ़ ओढ़नी हीरक कणिका जड़ी हुई। बीच-बीच मुक्ताफल मणिका पड़ी हुई...
-
अंधकार ने ली विदा, ऊषा का आगाज़। धानी चूनर ओढ़ ली, धरती ने फिर आज।।1।। अम्बर से ऊषा किरण, चली धरा की ओर। दिनकर की देदीप्यता, उतरी ...
-
पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
संजीव सर ,बहुत गहराई हैं आपकी कविता मॆ.
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय आलोक जी.
Deleteसुंदर भावो की अनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर आभार आपका आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी. सादर नमन
ReplyDeleteसुंदर जीवन दर्शन , सादर बधाई आदर्णीय संजीव सर जी , आदर्णीय सपन सर जी बेहतरीन ब्लोग हेतु हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसादर आभार आपका आदरणीया.
Delete