Sunday 29 January 2023

 

दिव्य शक्तियाँ जहाँ ख़ुशी स्वरूप धारतीं।

मुस्करा प्रभा उठी कली-कली खिला रही,
लालिमा विहान की दिगंत में मिला रही,
पंक्तियाँ विहंग की मगन-गगन विहारतीं,
भावना नहीं अलस प्रभात को निखारतीं,

दिव्य शक्तियाँ जहाँ ख़ुशी स्वरूप धारतीं।

हिंद है अखंड आन-मान को सँवारिए,
हार -जीत राग-द्वेष पुण्य से न हारिए,
कष्ट शीत द्वंद्व या बयार से उबारतीं,
रश्मियाँ सदैव भेदभाव को नकारतीं,

दिव्य शक्तियाँ जहाँ ख़ुशी स्वरूप धारतीं।

प्राणवान हो सदा सहर्ष कर्म आप से,
कष्ट व्याधि हो नहीं समाज धर्म आप से,
वृद्ध बाल वृंद से युवान को सँवारतीं,
प्रेम सत्य मार्ग हो कुव्याधि नित्य हारतीं,

दिव्य शक्तियाँ जहाँ ख़ुशी स्वरूप धारतीं।

*** डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

Sunday 22 January 2023

नैसर्गिक उपहार - एक गीत

 

प्रेम-भाव का मिला सभी को, नैसर्गिक उपहार।
मधु मोहक पावन मुस्कानें, प्रचुर रहा भंडार।

उत्फुल्लित वन कानन उपवन, बिखरी रहे सुवास।
शिशु शावक उन्मुक्त केलिरत, अधर भरे मृदु हास।
प्रकृति सहज वात्सल्यमयी है, ममता का श्रृंगार।
मधु मोहक पावन मुस्कानें, प्रचुर भरा भण्डार।

सरल हृदय निष्कपट छल रहित, रहते भोले बाल।
जाति-पाँति का भेद न जाने, जाने कुटिल न चाल।
कर-कमलों का हार कंठ में, डाल दिया सुकुमार।
मधु मोहक पावन मुस्कानें, प्रचुर भरा भण्डार।

किंतु मनुज आडंबर धारी, कर निसर्ग से वैर।
भरा स्वार्थ से मान रहा है, यह अपना यह गैर।
लूट खजाना बचपन वाला, खुद पर किया प्रहार।
मधु मोहक पावन मुस्कानें, प्रचुर भरा भण्डार।

*** डॉ. राजकुमारी वर्मा

Sunday 15 January 2023

दो कुंडलिया

 

सीमा पर सैनिक खड़ा, पूरा ध्यान लगाय।
दुश्मन उसके शौर्य से, छिपा हुआ थर्राय।।
छिपा हुआ थर्राय, हिंद से पार न पाए।
गरजे अपना लाल, गर्व से मां मुस्काए।।
कभी न हो अभियान, देश का अपने धीमा।
रहे सुरक्षित चीन-पाक से अपनी सीमा।।


पूरा करना राम जी, सबका अच्छा काम।
दुखी न कोई भी रहे, पाए सुख, आराम।।
पाए सुख, आराम, नहीं कोई भी रोए।
करें सभी श्रम खूब, तरक्की सबकी होए।।
रहे न कोई स्वप्न, किसी का कभी अधूरा।
चहके भारत देश, मनोरथ होए पूरा।।

*** राजकुमार धर द्विवेदी

Sunday 8 January 2023

आधा और अधूरा - चौपाई छंद

 

सीता बिन श्रीराम न पूरे।
बिना राधिका श्याम अधूरे॥
अर्द्धचन्द्र बिन 'ॐ' न पूरा।
शक्ति बिना शिव रहे अधूरा॥1॥
🌸
अर्द्धांगिनि बिन सूना आँगन।
आधा और अधूरा जीवन॥
पत्नी बिन है प्रीति अधूरी।
जीवन की हर रीति अधूरी॥2॥
🌸
कर्म बिना है धर्म अधूरा।
बिना क्षेम के योग न पूरा॥
प्रेम बिना है भक्ति अधूरी।
बात अभी तक हुई न पूरी॥3॥
🌸
कुन्तल श्रीवास्तव,
डोंबिवली, महाराष्ट्र।

Sunday 1 January 2023

नवल वर्ष में

 

नवल वर्ष में, नव आशाएं, लहराएं।
नवल वायु के, झोंके पल-पल, बलखाएं।

नई सुबह का,
अभिनंदन
है, खुशी न कम।
ध्यान लगाएं, जतन करें तो, भागें गम।
सदा हृदय से, गीत जीत के, ही गाएं।
नवल वर्ष में, नव आशाएं, लहराएं।

कर्म करें पर, शरण प्रभू की, सदा गहें।
जो बोलें वह, मन से सच्ची, बात कहें।
सच्चाई को, नए वर्ष में, गहराएं।
नवल वर्ष में, नव आशाएं लहराएं।

मस्त रहें हम, व्यस्त रहें अरु, मिलें जुलें।
मन में गाँठें, कभी न बाँधें, खूब खुलें।
पहले की सब, धो कड़वाहट, हरसायें।
नवल वर्ष में, नव आशाएं, लहराएं।

*** डॉ. राजकुमारी वर्मा

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...