Sunday 29 October 2023

ऋतु अति हरसित

 

निशि अरु दिवस दिखत अति सुख कर।
उदित अरुण झट चल कर पथ पर।

सखि न इधर रुक उस थल पर चल।
ऋतु पिय मिलन सरस मधु उस पल।

मधुकर सरिस मधुर रस भर-भर।
हृदय-हृदय मिल बतरस कर-कर।

सुभग मनहरण चितवत हरियल।
जस विलसत सर खिलत कमल दल।

शुक पिक भ्रमत नचत अति हरसित।
विकसत सुमन नलिन सखि सर सित।

कुहु-कुहु कह पिक सबहि मन हरति।
प्रमुदित जन-मन विहँसत निरखति।

रमण करत मन थकित न धक-धक।
ऋतु अति सुभग हरत मन भरसक।

*** डॉ. राजकुमारी वर्मा ***

Sunday 22 October 2023

आदिशक्ति

 

आदिशक्ति स्वरूप माता सिद्धदात्री पावनी तू।
शैलपुत्री कालरात्री स्कंदमाता लावनी तू।

कात्यायनी अरिहंतनी कुष्मांडा सिंहवाहिनी।
रक्तबीजाश्वरी माता ब्रम्हचारिणी उपासिनी।
अष्टभुज आयुध सजाए शक्तिरूपा कामिनी तू।
आदिशक्ति प्रबुद्ध माता सिद्धदात्री पावनी तू।

माँ शिवानी त्रिपुरसुंदरि मुण्ड माला साजते हैं।
पाँव बिछुआ हाथ कंगन कर्ण किंकिण बाजते हैं।
सुर असुर ध्यावें अहर्निश वत्सला माँ सावनी तू।
आदिशक्ति स्वरूप माता सिद्धदात्री पावनी तू।

लाल चूनर में सजी माँ नथ हिले ज्यों पवि दमकती।
चन्द्रमुख बीड़ा रचाए घाघरा लहरी गमकती।
है वृहत भवसिन्धु माया धूप जीवन छावनी तू।
आदिशक्ति स्वरूप माता सिद्धदात्री पावनी तू।

*** सुधा अहलुवालिया

Sunday 15 October 2023

चामर छंद - प्रदत्त चित्र पर

 

कीच में पला बढ़ा सुनेह नीर का मिला।
प्राप्त पात का सुसंग श्वेत पद्म है खिला।।
अंबु-अंक शुभ्र कंज ताल मध्य शोभता।
शांति का प्रतीक स्निग्ध नैन सर्व लोभता।।

कंज पंक - अंबु से सदैव राग त्यागता।
सत्य शुभ्र पद्म-सा तभी विवेक जागता।।
स्वेत अब्ज-सा चरित्र स्निग्ध सर्व कीजिये।
सत्य निष्ठ कर्म निर्विकार मान लीजिए।।

*** चंद्रपाल सिंह "चंद्र"

Sunday 8 October 2023

वृद्ध मानसिकता

 

एक बोझिल मन
थका हारा सा बार बार
चला जाता है अतीत में
कुछ गड़े मुर्दे उखाड़ने
कुछ पुरानी यादें ताज़ा करने
कुछ पुरानी बातों को दोहराने
कुछ पुराने फलसफों से
रुबरु होने
ताकि अतीत के झरोखे से
मन की पीड़ा को स्वर देने की
एक मुकम्मल कोशिश की जा सके
हाँ ,यह तो तय है कि इस तरह बोझिल मन की बातें
सुनी जा सकती हैं/समझी जा सकती हैं
और तदनुकूल उपाय किए जा सकते हैं/हाँ यह मेरा अनुभव है कि
बोझिल मन के किसी कोने में दबी कुछ
अपेक्षाएं बार बार
बाहर आने को अकुलाती हैं
वे नहीं चाहतीं है कि
इस आपा धापी में कुछ ऐसा हो जाये जो
आगे के लिए नासूर बन जाये और फिर
भुगतनी परे ताजिंदगी
एक किस्म की कुंठा/एक किस्म की पीड़ा
जिसका इलाज महंगा
होने के साथ साथ
लाईलाज भी हो
क्या वृद्ध मानसिकता इसी को कहते हैं?

*** राजेश कुमार सिन्हा

Sunday 1 October 2023

गांधी जयन्ती - विशेष

 

गांधी जयन्ती आज, आज बन्द राज काज॥
राष्ट्रपिता राष्ट्र शान, विश्व सकल करे मान॥1॥

सत्य कर्म राष्ट्र धर्म, जीवन का समझ मर्म।
मोह लोभ छोड़ राग, चल पड़े डर को त्याग॥2॥

सत्य अहिंसा विशेष, शस्त्र धार सत्व वेष।
राह चुना असहयोग, जग में चकित थे लोग॥3॥

हुआ नहीं रक्तपात, विजयी हुआ कृश गात।
याद करें वही रात, शासक को मिली मात॥4॥

गांधी के तीन मंत्र, मान हुए हम स्वतंत्र।
प्रिय हमें है गणतंत्र, भारत का लोकतंत्र॥5॥

गांधी जयन्ती धूम, उत्सव मनायें झूम।
सत्य प्रेम दया धर्म, अपना लें मान कर्म॥6॥

कुन्तल श्रीवास्तव.
डोंबिवली, महाराष्ट्र.

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...