Sunday 26 December 2021

जीने के लिए

 



जाने
कितनी दुश्वारियों को झेलती
ज़िंदगी
रेंगती हसरतों के साथ
ख़ुद भी रेंगने लगती है।
हर क़दम
जीने के लिए ज़ह्र पीती है
हर लम्हा
चिथड़े -चिथड़े होती
आरज़ुओं के पैबंद सीती है।
जाने कब
वक़्त
ज़िंदगी की पेशानी पर
बिना तारीख़ के अंत की
एक तख़्ती लगा जाता है
उस तख़्ती के साथ
ज़िंदगी रोज़
अवसान के लिए जीती है।
रोज़
जीने के लिए मरती है।

सुशील सरना

Sunday 19 December 2021

आदर-सम्मान

 



सारे उम्र दराज का, सदा करें सम्मान।
आदर से वंदन करें, त्याग सभी अभिमान।।

नतमस्तक जब आप हों, मिलता आशीर्वाद।
सफल रहें आशीष से, रखें हमेशा याद।।

सम्मानों से ही पड़े, संस्कारों की नीव।
संस्कारित हर व्यक्ति के, होते स्वप्न सजीव।।

मात-पिता गुरु जेष्ठ का, करें हमेशा मान।
किसी परिस्थिति में कभी, नहीं करें अपमान।।

आदर की यदि कामना, करें सभी का मान।
द्विगुणित हो वापस मिले, सत्य यही लें जान।।

चंद्र पाल सिंह "चंद्र"

Sunday 12 December 2021

सत्य का आवाहन




पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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बहुधा यह देखा जाता है, झूठ में होती वाक्-पटुता।
झूठे लोग धार लेते हैं, अपने मुख पर नकली मृदुता॥
सच सीधा-साधा होता है, ह्रदय-भाव रहते आनन पर,
कुछ लोगों को सहन न होती, सच में जो होती है कटुता।
किन्तु अटल है एक सत्य यह त्राण झूठ से मिलना मुश्किल।
जन-जीवन में छवि निरंतर, झूठ सत्य की करता धूमिल॥
जिनके बल पर सच जीवित है, कलयुग में ऐसा देखा है,
वही दे रहे नित्य झूठ को, सच के बदले में प्रोत्साहन।
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पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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झूठे अक्सर चिल्लाते हैं, स च्चे शांत सदा रहते हैं।
जो होते हैं सच के हामी, सत्य निडरता से कहते हैं॥
सच के सभी प्रशंसक है पर, ऐसा क्यों होता है आखिर,
अडिग सत्य पर रहने वाले , अक्सर मनुज कष्ट सहते हैं॥
सिंहासन का युद्ध झूठ की, नींवें डाल लड़ा जाता है।
सच्चा हर इंसान स्वयं को, झूठों मध्य खड़ा पाता है॥
राजनीति से सत्य लापता, जैसे सींग गधे के सिर से,
नारे झूठे वादे झूठे, सत्य नहीं होते आश्वासन॥
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पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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सब सोचें अंतस में अपने, सचमुच कौन सत्यवादी है?
पल पल है संग्राम झूठ से, सच कहने की आज़ादी है?
बातचीत में हम सारे भी, सच का क्या अपमान न करते,
सच में ,क्या यह झूठ आजकल, नहीं सत्य का प्रतिवादी है?
न्यायालय में लोग अधिकतर, झूठी क़समें खा लेते हैं।
और न्याय पाने की खातिर, झूठे साक्ष्य जुटा लेते हैं॥
जान-बूझकर चुप रहते हैं, न्यायाधीश न्याय मंदिर में,
सच को न्याय दिलाने में क्यों, पंगु रहा है न्याय-प्रशासन?
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पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी 

Sunday 5 December 2021

कुंडलिया - अध्येता

 




जीवन भर सीखा किये, अध्येता बन पाठ।
भाषाएँ कुछ सीख कर, बहुत दिखाये ठाठ॥
बहुत दिखाये ठाठ, प्रेम की बोली भूले।
अपनों को कर दूर, गर्व से भर कर फूले॥
शिक्षा का है सार, विनत निर्मल हो यह मन।
याद रखें यह पाठ, सफल होगा तब जीवन॥
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विद्यार्थी बनना सरल, कठिन सीखना ज्ञान।
ज्ञान प्राप्त होता उसे, करे गुरू का मान॥
करे गुरू का मान, सहज मन से विश्वासी।
श्रवण-मनन के साथ, सतत हो वह अभ्यासी॥
त्यागे आलस नींद, सदा सच्चा शिक्षार्थी।
ग्रहण करे जो ज्ञान, वही होता विद्यार्थी॥
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गुरुवर से ले ज्ञान-जल, भरता खाली पात्र।
सबसे निर्मल शुद्ध-मन, होता जग में छात्र॥
होता जग में छात्र, वही गुरुजन का प्यारा।
करके मृदु व्यवहार, शिष्य वो बनता न्यारा॥
रोपें सुन्दर वृक्ष, सकल तरु पनपें सुंदर।
खिलते जीवन-फूल, मुदित मन देखें गुरुवर॥
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कुन्तल श्रीवास्तव
डोंबिवली, महाराष्ट्र

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...