पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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बहुधा यह देखा जाता है, झूठ में होती वाक्-पटुता।
झूठे लोग धार लेते हैं, अपने मुख पर नकली मृदुता॥
सच सीधा-साधा होता है, ह्रदय-भाव रहते आनन पर,
कुछ लोगों को सहन न होती, सच में जो होती है कटुता।
किन्तु अटल है एक सत्य यह त्राण झूठ से मिलना मुश्किल।
जन-जीवन में छवि निरंतर, झूठ सत्य की करता धूमिल॥
जिनके बल पर सच जीवित है, कलयुग में ऐसा देखा है,
वही दे रहे नित्य झूठ को, सच के बदले में प्रोत्साहन।
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पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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झूठे अक्सर चिल्लाते हैं, स च्चे शांत सदा रहते हैं।
जो होते हैं सच के हामी, सत्य निडरता से कहते हैं॥
सच के सभी प्रशंसक है पर, ऐसा क्यों होता है आखिर,
अडिग सत्य पर रहने वाले , अक्सर मनुज कष्ट सहते हैं॥
सिंहासन का युद्ध झूठ की, नींवें डाल लड़ा जाता है।
सच्चा हर इंसान स्वयं को, झूठों मध्य खड़ा पाता है॥
राजनीति से सत्य लापता, जैसे सींग गधे के सिर से,
नारे झूठे वादे झूठे, सत्य नहीं होते आश्वासन॥
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पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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सब सोचें अंतस में अपने, सचमुच कौन सत्यवादी है?
पल पल है संग्राम झूठ से, सच कहने की आज़ादी है?
बातचीत में हम सारे भी, सच का क्या अपमान न करते,
सच में ,क्या यह झूठ आजकल, नहीं सत्य का प्रतिवादी है?
न्यायालय में लोग अधिकतर, झूठी क़समें खा लेते हैं।
और न्याय पाने की खातिर, झूठे साक्ष्य जुटा लेते हैं॥
जान-बूझकर चुप रहते हैं, न्यायाधीश न्याय मंदिर में,
सच को न्याय दिलाने में क्यों, पंगु रहा है न्याय-प्रशासन?
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पाठ पढ़ाएं भले सत्य का, करें नित्य उस का आवाहन।
पूर्ण रूप से होना मुश्किल, झूठों का जग से निर्वासन॥
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी