Sunday 27 December 2020

विगत वर्ष

 


विगत वर्ष के उपवन से तुम,
चुनकर सुरभित नेह के फूल।
रोपित उनको नवल-वर्ष में
करना अवश्य, न जाना भूल।।
 
उन लम्हों को मत बिसराना,
जिनसे पाया कंटक ताज।
उन्हीं मौन पद-चाप से होगा,
सदा ही झंकृत जीवन-साज।।
 
करते रहना सबको प्रेरित,
रखना स्वयं-संस्कार पुनीत।
सकल हर्ष मिले सभी को,
नवल-वर्ष से आग्रह विनीत।।
 

*** विश्वजीत ‘सागर’ ***

Sunday 20 December 2020

इन्द्रवज्रा समपाद वार्णिक वृत्त

 


है पूस की ठण्डक रात काली।
सोता सवेरे तक अंशुमाली॥
बेकार देखो हम बैठ खाली।
तापें अलावों पर हाथ आली॥1॥

देखो सहें ठंड किसान न्यारे।
ठंडी हवा के शर तीक्ष्ण सारे॥
पालें सदा वो इस देश को भी।
झेलें यहाँ के परिवेश को भी॥2॥

सर्दी कड़ी हो डरते नहीं हैं।
ठंडी हवा से मरते नहीं हैं॥
हो शीत की भी लहरी न हारे।
ठंडी निशा के प्रहरी हमारे॥3॥

होते सदा धीर किसान भाई।
गर्मी व सर्दी उनको सुहाई॥
देखे यहाँ वीर जवान ऐसे।
जो शीत से भी डरते न जैसे॥4॥

*** कुन्तल श्रीवास्तव, मुम्बई ***

Sunday 13 December 2020

कागज़ काले करना

 


कागज काले कर रही, मेरी कलम उदास।
काले मन की लिख व्यथा, काला पहन लिबास।।
 
बिल्कुल काले शब्द ही, सत्य रहे हैं बाँच।
इस स्याही की साख पर, कभी न आये आँच।।
 
कोरा सा कागज रहे, भला नहीं अंजाम।
कोई तो दिल पर लिखे, प्यार भरा पैगाम।।
 
लिखते लिखते रुक गयी, पन्नों पर संदेश।
लगा कलम को रह गया, एक कथानक शेष।।
 
कागज़ मुझसे पूछता, लिखा कभी कुछ खास।
क्या उनकी पीड़ा लिखी, शब्द न जिनके पास।।
 
*** मदन प्रकाश सिंह ***

Sunday 6 December 2020

नैन पथरा गये

 


स्वप्न बुनती रही मैं हृदय हार के।
नैन पथरा गये राह पर प्यार के।
 
बीतती हैं मिलन की घड़ी आस थी,
रूठती शाम भी ढल रही खास थी,
हूँ बिछाये पलक पाँवड़े द्वार के।
नैन पथरा गये------
 
जाग रैना बिताऊँ बनी बाँवरी,
रात नागिन डँसे ये चतुर साँवरी,
फूल मुरझा गये साज शृंगार के।
नैन पथरा गये-------
 
प्रेम उगता नहीं खेत में मानिए
हाट लगते नहीं प्रेम के जानिए
प्रीत हाला अगन की पिलाती रही,
चाँदनी छेड़ती गीत अंगार के।
नैन पथरा गये------
 
प्रीत पहरू जगे आहटें आ रही,
राह भूला पथिक रात भी जा रही
प्रेम निष्ठुर बिना मान मनुहार के।
नैन पथरा गये-----
 
स्वप्न बुनती रही मैं हृदय हार के।
नैन पथरा गये राह पर प्यार के। 
 
*** डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी ***

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...