कागज काले कर रही, मेरी कलम उदास।
काले मन की लिख व्यथा, काला पहन लिबास।।
बिल्कुल काले शब्द ही, सत्य रहे हैं बाँच।
इस स्याही की साख पर, कभी न आये आँच।।
कोरा सा कागज रहे, भला नहीं अंजाम।
कोई तो दिल पर लिखे, प्यार भरा पैगाम।।
लिखते लिखते रुक गयी, पन्नों पर संदेश।
लगा कलम को रह गया, एक कथानक शेष।।
कागज़ मुझसे पूछता, लिखा कभी कुछ खास।
क्या उनकी पीड़ा लिखी, शब्द न जिनके पास।।
*** मदन प्रकाश सिंह ***
No comments:
Post a Comment