Sunday 20 December 2020

इन्द्रवज्रा समपाद वार्णिक वृत्त

 


है पूस की ठण्डक रात काली।
सोता सवेरे तक अंशुमाली॥
बेकार देखो हम बैठ खाली।
तापें अलावों पर हाथ आली॥1॥

देखो सहें ठंड किसान न्यारे।
ठंडी हवा के शर तीक्ष्ण सारे॥
पालें सदा वो इस देश को भी।
झेलें यहाँ के परिवेश को भी॥2॥

सर्दी कड़ी हो डरते नहीं हैं।
ठंडी हवा से मरते नहीं हैं॥
हो शीत की भी लहरी न हारे।
ठंडी निशा के प्रहरी हमारे॥3॥

होते सदा धीर किसान भाई।
गर्मी व सर्दी उनको सुहाई॥
देखे यहाँ वीर जवान ऐसे।
जो शीत से भी डरते न जैसे॥4॥

*** कुन्तल श्रीवास्तव, मुम्बई ***

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