Sunday, 27 December 2020

विगत वर्ष

 


विगत वर्ष के उपवन से तुम,
चुनकर सुरभित नेह के फूल।
रोपित उनको नवल-वर्ष में
करना अवश्य, न जाना भूल।।
 
उन लम्हों को मत बिसराना,
जिनसे पाया कंटक ताज।
उन्हीं मौन पद-चाप से होगा,
सदा ही झंकृत जीवन-साज।।
 
करते रहना सबको प्रेरित,
रखना स्वयं-संस्कार पुनीत।
सकल हर्ष मिले सभी को,
नवल-वर्ष से आग्रह विनीत।।
 

*** विश्वजीत ‘सागर’ ***

No comments:

Post a Comment

"फ़ायदा"

  फ़ायदा... एक शब्द जो दिख जाता है हर रिश्ते की जड़ों में हर लेन देन की बातों में और फिर एक सवाल बनकर आता है इससे मेरा क्या फ़ायदा होगा मनुष्य...