Sunday 28 March 2021

समय विचार

 


सागर जैसा हृदय बना लूँ, वैसी बनूँ उदार।
पल-पल समय गँवाया साथी, करती रही विचार॥

समय गये जीना सीखा है, जीवन से जब दूर।
दुनिया का मतलब समझा है, जब मैं हूँ मजबूर।
जीना-मरना मरकर जीना, जीवन भी क्या खूब
जीवन भर हम जीवन ढोते, जैसे इक मजदूर।
आये हम बाँधे थे मुट्ठी, चले पसारे हाथ।
रूप वित्त का मान न करना, यह सब है बेकार।
पल-पल समय गँवाया साथी, करती रही विचार॥1॥

सपना तो सपना होता है, जाता है वह टूट।
पर यादें दिल में बसती हैं, होतीं सदा अटूट।
मित्र! किसी की यदि यादों ने, किया हृदय में वास।
फिर कोशिश कर लो कितनी भी, कभी न सकतीं छूट।
चाहा बहुत समा लूँ सबको, हृदय पयोनिधि मध्य
सरल नहीं सागर बन जाना, मिलते कष्ट अपार ।
पल-पल समय गँवाया साथी, करती रही विचार॥2॥

आकर चंचल नदियों का जल, मिले जलधि इक सार।
अलग-अलग क्षेत्रों से आकर, गिरे उदधि में धार।
रंग रूप गुण मिलें न लेकिन, सागर में सब एक
बूँद-बूँद सागर हो जाती, मिलन अवधि हर बार।
वक़्त हमें अहसास दिलाता, यही सत्य की राह
समय दिखाता सब कुछ साथी, सिखलाता संसार।
पल-पल समय गँवाया साथी, करती रही विचार॥3॥

कुन्तल श्रीवास्तव
मुम्बई

Sunday 21 March 2021

असली मित्र

 


मिलने को तो मित्र बहुत से, इस दुनिया में मिलते हैं।
जीवन भर जो साथ निभाते, कुछ विरले ही दिखते हैं।।
 
सात जन्म का रिश्ता जिससे, प्रथम मित्रता उससे ही।
प्रणय-पंथ में सदा साथ हो, हो उजियारा उससे ही।।
जीवन में उल्लास नहीं हो, अगर विलग हो सुर लब से
सुन्दर पथ है वही जहाँ तक, साथी संग विचरते हैं।।
 
सीख सदा ही मिलती जिनसे, हृदय सँजोता उनको भी।
जो नफ़रत के बीज उगाते, मित्र मानता उनको भी।।
निंदा करते मित्र उन्हीं से, मिलता है कुछ नज़राना।
दोष निकाले ढूँढ़ ढूँढ़ कर, मित्र उन्हें ही कहते हैं।।
 
कहने को तो मित्र हज़ारों, दुख में साथी कौन यहाँ।
सुख में नेह जताते आते, दुख में मिलते कौन कहाँ।।
जिनका प्यार हिमालय जैसा, साथ निभाते सन्ध्या तक।
निभे मित्रता उनसे सच्ची, सँग मरघट तक रहते हैं।।
 
लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

Sunday 14 March 2021

सुन्दर हो संसार




सुन्दर हो संसार हमारा घर में सुख-दुख की लहरें हों।
चाहत के सपनों में पूरित अनुपम कुछ क्षण भी ठहरे हों॥

धैर्य सजेगा जीवन में तो मंजुल-मन अनुराग बुनेगा।
मिल बाटेंगे प्यार परस्पर इन्द्रधनुष-मन फाग चुनेगा।
बहती जाती जीवन-नदिया अंतस-घट रसमय गहरे हों।
चाहत के सपनों में पूरित अनुपम कुछ क्षण भी ठहरे हों॥

थोड़ी आशा छोटे सपने पंख लगा कर उड़ निकलें हम।
पूरी हों चाहें प्रयास हो पा कर खो कर मुड़ निकलें हम।
कर्म-धर्म की सुन्दर राहें चाल-चलन पर दृड़ पहरे हों।
चाहत के सपनों में पूरित अनुपम कुछ क्षण भी ठहरे हों॥

मान बड़े-छोटों को सबको मिले बराबर यही रीति है।
नारी को बस नेह चाहिये प्रेम समर्पण सुभग नीति है।
पुरुष गर्व होते हैं घर के शिशु-किलके फुलवा-छहरे हों।
चाहत के सपनों में पूरित अनुपम कुछ क्षण भी ठहरे हों॥

*** सुधा अहलूवालिया ***

Sunday 7 March 2021

ईश की उत्कृष्ट कृति



ईश की उत्कृष्ट कृति है, ईश का बल आदमी
साध्य का लौकिक शिखर है, साधना फल आदमी

 

खोलता है द्वार सारे, यह सृजन का मूल बन
खोज ही लेता प्रलय में, प्रेम का आनंद घन
शूल के भी फूल के भी, दोष गुण है जानता
अश्रु में मुस्कान का रस, गीत गाकर ढालता

 

छांव में सोकर उठा है, धूप में जल आदमी
काल का रथ रोकने का, ढूँढता हल आदमी

 

तत्व मुट्ठी में किए सब, गूढ़ का चिंतन किया
सींच दी वसुधा सुधा से, सार जीवन का लिया
वेद को विज्ञान सौंपा, शून्य को नव रस दिये
प्राण देकर अस्मिता पर, यज्ञ मुंडों से किये

 

लांघता सागर हिमालय, थाह का तल आदमी
पंचभूतों पर विजय का, हांकता दल आदमी

 

सभ्यता के गुप्त धन की, भग्न नींवें खोदता
शास्त्र शस्त्रों की पुरातन, लीक टूटी जोड़ता
हारकर भी जीतता है, धर्म के हित प्राण दे
पूज्य देवों- सा बना है, दीन जन को त्राण दे

 

शब्द धागे में पिरोता, अर्थ का बल आदमी
मोक्ष के सोपान चढ़ता, काल का कल आदमी

 

डॉ. मदन मोहन शर्मा
सवाई माधोपुर, राज.

Monday 1 March 2021

पवन बसन्ती बहती (गीत)



गुन गुन गाते गीत हृदय जब,
पवन बसंती बहती ।
 
मधुर प्रेम का कर आलिंगन,
हवा बीज बो जाती।
साँसों की सरगम मन भावन,
गीत सुरीले गाती।।
चन्दन सी महके जब सौंधी,
खुश्बू कुछ कुछ कहती।
 
तूफानी झोंका जब आता,
तन मन सिहरा जाता है।
अक्सर तभी हवा का झोंका,
आँखे नम कर जाता है।।
प्रेम भावना पवन वेग सी,
विचलित करती रहती। 
 
नित्य भोर की हवा लुभाती,
पक्षी उड़ उड़ कर आते।
मदमाती मृदु मलय पवन से,
वृक्ष लता मुस्काते।।
कभी जलन दे तपिश हवाएँ,
धरा धैर्य रख सहती।
 
लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
 

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...