ईश की उत्कृष्ट कृति है, ईश का बल आदमीसाध्य का लौकिक शिखर है, साधना फल आदमी
खोलता है द्वार सारे, यह सृजन का मूल बनखोज ही लेता प्रलय में, प्रेम का आनंद घनशूल के भी फूल के भी, दोष गुण है जानताअश्रु में मुस्कान का रस, गीत गाकर ढालता
छांव में सोकर उठा है, धूप में जल आदमीकाल का रथ रोकने का, ढूँढता हल आदमी
तत्व मुट्ठी में किए सब, गूढ़ का चिंतन कियासींच दी वसुधा सुधा से, सार जीवन का लियावेद को विज्ञान सौंपा, शून्य को नव रस दियेप्राण देकर अस्मिता पर, यज्ञ मुंडों से किये
लांघता सागर हिमालय, थाह का तल आदमीपंचभूतों पर विजय का, हांकता दल आदमी
सभ्यता के गुप्त धन की, भग्न नींवें खोदताशास्त्र शस्त्रों की पुरातन, लीक टूटी जोड़ताहारकर भी जीतता है, धर्म के हित प्राण देपूज्य देवों- सा बना है, दीन जन को त्राण दे
शब्द धागे में पिरोता, अर्थ का बल आदमीमोक्ष के सोपान चढ़ता, काल का कल आदमी
डॉ. मदन मोहन शर्मासवाई माधोपुर, राज.
No comments:
Post a Comment