Monday 1 March 2021

पवन बसन्ती बहती (गीत)



गुन गुन गाते गीत हृदय जब,
पवन बसंती बहती ।
 
मधुर प्रेम का कर आलिंगन,
हवा बीज बो जाती।
साँसों की सरगम मन भावन,
गीत सुरीले गाती।।
चन्दन सी महके जब सौंधी,
खुश्बू कुछ कुछ कहती।
 
तूफानी झोंका जब आता,
तन मन सिहरा जाता है।
अक्सर तभी हवा का झोंका,
आँखे नम कर जाता है।।
प्रेम भावना पवन वेग सी,
विचलित करती रहती। 
 
नित्य भोर की हवा लुभाती,
पक्षी उड़ उड़ कर आते।
मदमाती मृदु मलय पवन से,
वृक्ष लता मुस्काते।।
कभी जलन दे तपिश हवाएँ,
धरा धैर्य रख सहती।
 
लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
 

1 comment:

  1. गीत रचना को ब्लॉग पर स्थान प्रदत्त करने के लिए हार्दिक आभार आ. Vishwajeet Sapan जी

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