Sunday 26 February 2023

वधू - गीत

 


आज डोली उठ रही है यवनिका डाले।
मौन दर्पण नाट्यशाला सज रही है।
दृग पटल पर हो न चित्रित भाव उर का।
आवरण में नायिका सजधज रही है।

भेंट स्वर्णिम आवरण में है लपेटी।
प्रेम में सौंपी गई सम्मान से।
हैं तिलिस्मी स्वाभिमानी चेतनाएं।
मुखर वाणी मौन अनुपम ज्ञान से।
घोर कोलाहल स्वयं मैं तज रही है।
आवरण में नायिका सजधज रही है।

पार्श्व में नम पुतलियां संचित सुनामी।
मूक अधरों में सिहरते पात हैं।
रागिनी नेपथ्य में मन सींचती है।
आँचलों में बँधे मंजुल गात हैं।
योग और वियोग की ध्वनि बज रही है।।
आवरण में नायिका सजधज रही है।

मुट्ठियों का धन अपरिमित सा लगे है।
मंजुषा में बंद मन की भावना।
दाँव है मुख चन्द्र पर जो घूंघटा है।
घाव मन के रहें मन की कामना।
नैन पाँखी तितलियों की रज रही है।
आवरण में नायिका सजधज रही है।


*** सुधा अहलुवालिया

Sunday 19 February 2023

मदिरा सवैया - जय शंकर

 

सिद्धि सदा शिव हो प्रथमा अधिगम्य रहे अणिमा अपनी।
शंभु उमा सह व्याप्त चराचर सुप्त न हो महिमा अपनी।
नित्य बहे रस छंद स्वतंत्र बसंत हरे लघिमा अपनी।
खेत हरे खलिहान भरे खिल फूट पड़े गरिमा अपनी।।

नेत्र त्रिनेत्र सुशोभित सुंदर कांति मनोहर शंकर की।
गंग बहे, शशिशेखर के विष कंठ धरे अभयंकर की।
नारद शारद शेष कहें जय पुण्य पुनीत शुभंकर की।
मातु-पिता गणनायक के हित बुद्धि करें इस किंकर की।।

*** डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी



Sunday 12 February 2023

मदिरा सवैया छंद ( 7 भगण + गुरु )

 



नित्य यथार्थ कहे बन दर्पण दर्शन दोष करावत है।
जीवन-व्योम घिरें दुख-बादल धैर्य सदैव बॅंधावत है।
भाव समान रखे निज अंतस ऊॅंच न नींच जतावत है।
मित्र सदैव कहें उसको हम जो पथ सत्य दिखावत है।।
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*** चंद्र पाल सिंह "चंद्र"

Sunday 5 February 2023

झूठा-सच्चा - एक गीत

 



झूठा-सच्चा क्या है कैसे, लिखकर तुम्हें बताता हूँ,
ईश्वर का हूँ अंश कथन ये, कविता में नित गाता हूँ।

जो भी दिखता है सब तुमको, इसको झूठा ही मानो,
चार दिनों का मेला जग है, पर झूठा है ये जानो,
सच्चा ईश्वर जो चेतन है, गाकर उसको पाता हूँ।

तन झूठा है जग झूठा है, सच्ची-झूठी हैं बातें,
जीवन जग की बिना भजन के, सब झूठी ही हैं रातें,
झूठी माया झूठी काया पाकर क्यों इतराता हूँ।

जन्म झूठ है मरण झूठ है, सब रिश्ते- नाते झूठे,
झूठी काया मर जाती है, मरते ही जग ये छूटे,
छूटे नहीं अजर अविनाशी, सबको मैं दर्शाता हूँ।
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आचार्य राहुल शर्मा 'सिंधु'
फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...