Sunday 29 December 2019

इच्छा/चाह पर दोहे


 
हुई न पूरी कामना, सदियों भोग विलास।
मन ययाति कहता नहीं, आधा भरा गिलास।।


दिल से चाहे जो तुझे, देख उसी की ओर।
तके चाँद को रात भर, रोता सुबह चकोर।।


चाह गर्क ग़म मयकशी, क्या खयाल है खूब।
ग़म जाने हैं तैरना, मयकश जाता डूब।।


इच्छाएँ रखना मगर, आमदनी अनुसार।
देखा देखी होड़ में, दुखी बहुत घर बार।।


जिसका दामन देखिए, कद से दुगना मान।
क्या क्या चाहे आदमी, मालिक भी हैरान।।


चाह नही संतोष रख, छोड़ संचयन भाव।
डूबे अपने बोझ से, ज्यादा भारी नाव।।


मिली जुझारू जिंदगी, कदम कदम तूफान।
मौत जटायू सी मिले, इतना सा अरमान।।
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*** आर सी शर्मा "गोपाल" ***

Sunday 22 December 2019

गीत - सरसी छंदाधारित


खेल रचे संसार
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खेल-खेल में मित्र बनें हम, हुआ अचानक प्यार।
जोड़ी बन ऊपर से आती, खेल रचे करतार।।


कह दी उसने खेल-खेल में, एक राज की बात।
हुआ प्यार है मुझको तुमसे, सुन मेरे जज्बात।।
मेरी तुमसे विनती इतनी, सुनो लगाकर कान।
दे सकते हो क्या मुझको तुम, अपनी ये पहचान।।
ठण्डे दिल से करो जरा अब, इस पर गहन विचार।

जीवन तो है एक खिलौना, गठबंधन में सार।
जोड़ी बन ऊपर से आती, खेल रचे करतार।।


प्यार मुहब्बत की ये बातें, सुनकर हुआ अवाक।
माँ-बापू कहते हैं रिश्तें, बने साक्ष्य में पाक।।
रहा सोचता क्या उत्तर दूँ, जगकर सारी रात।
नही दुखा दिल, दे सकता मैं, उसको यूँ आघात।
मात-पिता यदि हामी भरदें, जुड़ें शीघ्र फिर तार।।

खिलती कलियाँ इस जीवन में, करें हृदय संचार।
जोड़ी बन ऊपर से आती, खेल रचे करतार।।


रक्तिम गाल गुलाल देखकर, तुम पर ह्रदय निछार।
प्रणय निवेदन की हामी भर, हृदय हुआ गुलजार।।
माँ-बापू अब कुंकुम-केशर, करें जरा स्वीकार।
मधुर-मधुर ये रूप तुम्हारा, प्रेम-प्रीति आधार।।

आकर घर में दीप जलाकर, करना घर उजियार।
जोड़ी बन ऊपर से आती, खेल रचे करतार।।


*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला ***

Sunday 15 December 2019

आसमाँ (गीत)


उड़ भले लो आसमाँ में यार धरती पर रहो तुम।
बह रही ज्यों धार उसके संग हरदम ही बहो तुम।।


आसमाँ में घर बनायें चाह है सबकी यही तो,
चाँद-तारे तोड़ लायें आरज़ू बस है सभी को,
क्या नहीं मुमकिन अरे पर दर्द उतना भी सहो तुम।
उड़ भले लो आसमाँ में यार धरती पर रहो तुम।1।


आसमाँ मिलता उसे ही जो उसे ही माँगता है,
चाह में उसकी अजी सब कुछ लुटाना चाहता है,
चाह उसकी ही करो फिर बाँह उसकी ही गहो तुम।
उड़ भले लो आसमाँ में यार धरती पर रहो तुम।2।


छोड़ इक दिन आसमाँ को लौट आना है धरा पर,
दो गज़ी सा इक मकाँ ही तो बनाना है धरा पर,
झूठ मैंने हो कहा तो बात सच क्या है कहो तुम।
उड़ भले लो आसमाँ में यार धरती पर रहो तुम।3।


*** अवधूत कुमार राठौर ***

Sunday 8 December 2019

चित्राधारित *गीत*


 
स्वर्णिम किरण जनी है, अनुरक्त कुंज क्यारी।
नम ओस का फुहारा, विकसित कली कुँवारी॥
*
अलि चूमते अधर-दल, तितली विलास मंजुल।
मृदु मखमली बिछौनें, मकरंद-सार अंजुल।
मद वारुणी छलकती, प्याले-कुसुम सुगंधित।
शुभ भोर कौन लाया, किसकी कृपा खरारी।
नम ओस का फुहारा, विकसित कली कुँवारी॥
*
है पुष्प-वाण शिल्पी, गूँथे अनंग-माली।
स्वागत बरात का हो, मधु चाँद की पियाली।
कमनीय पंखुरी-सी, घूँघट किए वधू ज्यों।
शुचि पुष्प-सेज सज्जित, संसृति समस्त वारी।
नम ओस का फुहारा, विकसित कली कुँवारी॥
*
ओढ़े कफ़न तिरंगा, जब वीर कोई आए।
बरसें सुमन सलोने, राहें सजल सजाए।
माँ भारती झरे है, तब अश्रु-बिन्दु पुष्पित।
है गर्व चमन का यह, छवि छाए शुचित न्यारी।
नम ओस का फुहारा, विकसित कली कुँवारी॥
*
*** सुधा अहलूवालिया ***

Sunday 1 December 2019

एक गीत




जब-जब अंतर्मन में पीड़ा, करवट-करवट रोई है,
जब-जब हर्ष जुन्हाई काले, बादल-पट में खोई है।
जब-जब भावों की गगरी ने, अश्रु नीर छलकाया है,
काग़ज़ पर गीतों का मौसम मंद मंद मुस्काया है.....


कलियों ने घूंघट खोले जब, फूल हँसे अंगनाई में,
गुनगुन करता भँवरा आया, तितली की पहुनाई में।
जब बादल ने बिजुरी से मिल, सावन का संदेश दिया,
और बहारों ने गुलशन को, हँसने का आदेश दिया।
शब्दों की माला पहने जब प्रीति-दुल्हन डोली बैठी,
सुख के चार कहारों ने, हैया हो हैया गाया है...
कागज़ पर गीतों का मौसम ...


कोई पथिक पेड़ के नीचे, थक कर बैठा जब गुमसुम,
आस परी पायल छनकाती, आई है रुमझुम-रुमझुम।
धरती के आंचल पर टाँके अम्बर ने जगमग मोती,
जुगनू की आंखों में झिलमिल शुभ्र ज्योत्स्ना नित होती।
सृष्टि-नटी के कण-कण में जब, मधु-वीणा झंकार हुई,
चाँद-रात ने झीलों में जब, मधु आसव टपकाया है.....
कागज़ पर गीतों का मौसम....


और विदा का समय हुआ, संसार पराया अब लगता,
ईश-मिलन को मन का पंछी, रोज जतन कितने करता।
यमुना के तट बंशी की बस, तान सुनाई देती है,
निर्गुण ब्रह्म ज्ञान दीपक की, ज्योति दिखाई देती है।
चलाचली की बेला में जब, सांसों ने उन्मत होकर,
एक मरण-उत्सव पूरी श्रद्धा से आन मनाया है...
कागज़ पर गीतों का मौसम....


*** दीपशिखा ***

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...