Sunday 31 March 2019

बरवै छंद

 
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, बिन सब व्यर्थ।
मानव जीवन का हो, बस यह अर्थ॥


स्वर्ण मन लुभाये ज्यों, कलित कुरंग।
धन के पीछे भागे, तीव्र तुरंग॥


धन पाकर मन में यदि, उपजा लोभ।
अपनों का मन दुःखा, उर हो क्षोभ॥


धन संग्रह से बनना, नहीं अमीर।
उदार हृदय व्यक्ति ही, रहा प्रवीर॥


दुनिया के विकास का, एक सु-मंत्र।
सुस्थिर रहे सर्वदा, सु-अर्थतंत्र॥


नेता जी बाँट रहे, कई करोड़।
गर्दन हम सबकी कल, न दें मरोड़॥


देश बने सुदृढ़-सुखी, करे विकास।
'कुंतल' तन-मन-धन से, सबकी आस॥


🌸
*** कुन्तल श्रीवास्तव ***

Sunday 24 March 2019

रस-रंग फाग गाए




बंसी मधुर बजाए, रस-रंग फाग गाए।
गोपी सनी विरह में, है श्याम-रस लगाए।। 


दृग-कोठरी घनेरी, शुचि झील का किनारा।
चितवन रसीली मंजु, रस पुंज का फुहारा।
उज्जवल मराल तन-मन, चित-चोर चत्त छाए।
गोपी सनी विरह में, है श्याम-रस लगाए।। 


कोरी रही चुनरिया, बस श्याम रंग हो ली।
है इन्द्र-धनुष हारा,शुभ पर्व आज होली।
अब रंग नहीं कोई, जो स्वयं सिद्धि पाए।
गोपी सनी विरह में, है श्याम-रस लगाए।।


है भोर रश्मि स्वर्णिम, सौरभ सनें भँवर-दल।
प्रति पुष्प नेह रंजित, प्रति पात तुहिन हल-चल।
मन तो रंगा अभी है, चूनर न भीग जाए।
गोपी सनी विरह में, है श्याम-रस लगाए।। 


*** सुधा अहलूवालिया ***

Sunday 17 March 2019

आया नया चुनाव


 
हर चौखट तक सरक सरक कर, आया नया चुनाव।

ऊँचा सेमल दिखा रहा है, ताव नया नव ढंग।
फिर पलाश के पोर पोर पर, चढ़ा भांग का रंग।
गाफ़िल भवरों की उड़ान में, है थोड़ा भटकाव।
हर चौखट तक ..... (1)


बंदर बकरी भेड़ हिरण सब, ढूँढ रहे हैं घास।
कुत्ते बिल्ली बाज लोमड़ी, की भी जागी आस।
बाघ शेर भी गर्जन करके, बना रहे अलगाव।।
हर चौखट तक....... (2)


महा समर में आशिक सारे, ठोक रहे हैं ताल।
अपनी शेखी हाँक रहे सब, पहन कवच ले ढाल।
वोट पर्व का जनमन पर अब, बढ़ने लगा तनाव।।
हर चौखट तक....... (3)


बूढ़ा बुधिया परख चुका है, सबके पाँव निशान।
भूसे के इस बड़े ढेर में, नहीं मिली मुस्कान।
झूठे वादों ने जीवन को, दिए घाव पर घाव।।
हर चौखट तक...... (4)


*** भीमराव झरबड़े "जीवन" बैतूल ***

Sunday 10 March 2019

सूर्य रश्मियाँ



एकान्त को मधुर स्वर देतीं
द्वार खटखटा रही थीं
सूर्य रश्मियाँ


पाषाणों में
रूप का आभास देतीं,
कुछ नये तराने
सजा रही थीं
सूर्य रश्मियाँ


दूर-दूर तक बह रहीं
एक दीर्घ आलाप-सी
रंगों से सजी लहरें
मन मुग्ध कर रहीं थीं
ये सूर्य रश्मियाँ 


रेत के कण
मानों बोल रहे
आ बैठ दो पल
देख,
कितना आनन्द देती हैं
ये सूर्य रश्मियाँ


न सोच कि
उदित होता है या अस्‍त
बस यह देख
कि आनन्द का सागर हैं
ये सूर्य रश्मियाँ


*****************
*** कविता सूद ***

Monday 4 March 2019

बना विश्व में देश महान


शौर्य गुणों से युक्त भूमि ये, पैदा करती वीर जवान।
वीर प्रसूता भारत माँ से, बना विश्व में देश महान।।


झूठ कपट के सँग फरेब का, जिनके रोम-रोम में वास।
सत्य-अहिंसा पर चलने का, उन पर कौन करें विश्वास।।
बसे पनाहों में आतंकित, पाक शरण में बना मुकाम।
उनको लगते व्यर्थ सभी ये, बाइबिल गीता और कुरान।।


वीरों के अदम्य साहस से, अंधियारों का हटे वितान।
शौर्य गुणों से युक्त भूमि ये, पैदा करती वीर जवान।।


घात लगाकर हमला करते, घर-घर बाँट रहें हथियार।
छद्म-वेश में छुरा भोंकते, करें सदा ही अत्याचार।।
मानवता जिनकी मर जाती, उनको होता नहीं मलाल।
छलना ही आदत है जिनकी, उन्हें नहीं रिश्तों का मान।।


कौन उजाड़े घर की शोभा, करें यहाँ उनकी पहचान।
शौर्य गुणों से युक्त भूमि ये, पैदा करती वीर जवान।।


फौजी रक्षा करें देश की, करे न बिल्कुल इसमें देर।
रहे सुरक्षित देश हमारा, रक्षा करते वीर दिलेर।।

एक मरे तो सौ को मारे, रखे हौसला बहुत बुलंद।
ख़ुशी-ख़ुशी क़ुरबानी देते, मुख पर खिले सदा मुस्कान।


शहीद स्मारक गाँव-गाँव में, अविरल जलती जहाँ मशाल।
शौर्य गुणों से युक्त भूमि ये, पैदा करती वीर जवान।।


*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला ***

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...