Friday, 23 August 2013

मुक्त छंद की विधा


6 comments:

  1. सुन्दर ज्ञानवर्धक जानकारी ,शुक्रिया सांझा करने के लिए Vishwajeet Sapan जी

    ReplyDelete
  2. आभार आपका मंजुल जी.
    सादर नमन

    ReplyDelete
  3. बेहद सारगर्भित, पठनीय ब्लॉग | हार्दिक बधाई सपन सर

    ReplyDelete
  4. बेहद सारगर्भित, पठनीय ब्लॉग | हार्दिक बधाई सपन सर

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आपका आदरणीय.

      Delete

वर्तमान विश्व पर प्रासंगिक मुक्तक

  गोला औ बारूद के, भरे पड़े भंडार, देखो समझो साथियो, यही मुख्य व्यापार, बच पाए दुनिया अगर, इनको कर दें नष्ट- मिल बैठें सब लोग अब, करना...