Sunday 21 March 2021

असली मित्र

 


मिलने को तो मित्र बहुत से, इस दुनिया में मिलते हैं।
जीवन भर जो साथ निभाते, कुछ विरले ही दिखते हैं।।
 
सात जन्म का रिश्ता जिससे, प्रथम मित्रता उससे ही।
प्रणय-पंथ में सदा साथ हो, हो उजियारा उससे ही।।
जीवन में उल्लास नहीं हो, अगर विलग हो सुर लब से
सुन्दर पथ है वही जहाँ तक, साथी संग विचरते हैं।।
 
सीख सदा ही मिलती जिनसे, हृदय सँजोता उनको भी।
जो नफ़रत के बीज उगाते, मित्र मानता उनको भी।।
निंदा करते मित्र उन्हीं से, मिलता है कुछ नज़राना।
दोष निकाले ढूँढ़ ढूँढ़ कर, मित्र उन्हें ही कहते हैं।।
 
कहने को तो मित्र हज़ारों, दुख में साथी कौन यहाँ।
सुख में नेह जताते आते, दुख में मिलते कौन कहाँ।।
जिनका प्यार हिमालय जैसा, साथ निभाते सन्ध्या तक।
निभे मित्रता उनसे सच्ची, सँग मरघट तक रहते हैं।।
 
लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

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