जीवन भर सीखा किये, अध्येता बन पाठ।
भाषाएँ कुछ सीख कर, बहुत दिखाये ठाठ॥
बहुत दिखाये ठाठ, प्रेम की बोली भूले।
अपनों को कर दूर, गर्व से भर कर फूले॥
शिक्षा का है सार, विनत निर्मल हो यह मन।
याद रखें यह पाठ, सफल होगा तब जीवन॥
विद्यार्थी बनना सरल, कठिन सीखना ज्ञान।
ज्ञान प्राप्त होता उसे, करे गुरू का मान॥
करे गुरू का मान, सहज मन से विश्वासी।
श्रवण-मनन के साथ, सतत हो वह अभ्यासी॥
त्यागे आलस नींद, सदा सच्चा शिक्षार्थी।
ग्रहण करे जो ज्ञान, वही होता विद्यार्थी॥
गुरुवर से ले ज्ञान-जल, भरता खाली पात्र।
सबसे निर्मल शुद्ध-मन, होता जग में छात्र॥
होता जग में छात्र, वही गुरुजन का प्यारा।
करके मृदु व्यवहार, शिष्य वो बनता न्यारा॥
रोपें सुन्दर वृक्ष, सकल तरु पनपें सुंदर।
खिलते जीवन-फूल, मुदित मन देखें गुरुवर॥
कुन्तल श्रीवास्तव
डोंबिवली, महाराष्ट्र
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