नवल वर्ष में, नव आशाएं, लहराएं।
नवल वायु के, झोंके पल-पल, बलखाएं।
ध्यान लगाएं, जतन करें तो, भागें गम।
सदा हृदय से, गीत जीत के, ही गाएं।
नवल वर्ष में, नव आशाएं, लहराएं।
कर्म करें पर, शरण प्रभू की, सदा गहें।
जो बोलें वह, मन से सच्ची, बात कहें।
सच्चाई को, नए वर्ष में, गहराएं।
नवल वर्ष में, नव आशाएं लहराएं।
मस्त रहें हम, व्यस्त रहें अरु, मिलें जुलें।
मन में गाँठें, कभी न बाँधें, खूब खुलें।
पहले की सब, धो कड़वाहट, हरसायें।
नवल वर्ष में, नव आशाएं, लहराएं।
*** डॉ. राजकुमारी वर्मा
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