सीता बिन श्रीराम न पूरे।
बिना राधिका श्याम अधूरे॥
अर्द्धचन्द्र बिन 'ॐ' न पूरा।
शक्ति बिना शिव रहे अधूरा॥1॥
अर्द्धांगिनि बिन सूना आँगन।
आधा और अधूरा जीवन॥
पत्नी बिन है प्रीति अधूरी।
जीवन की हर रीति अधूरी॥2॥
कर्म बिना है धर्म अधूरा।
बिना क्षेम के योग न पूरा॥
प्रेम बिना है भक्ति अधूरी।
बात अभी तक हुई न पूरी॥3॥
कुन्तल श्रीवास्तव,
डोंबिवली, महाराष्ट्र।
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