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आगत का है स्वागत करना - एक गीत
आगत का है स्वागत करना, संस्कृति का आधार लिए। मंत्र सिद्ध अनुशासित जीवन, नेकी सद आचार लिए। घटती-बढ़ती नित्य पिपासा, पथ की बाधा बने नह...
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पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
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प्रेम की जोत से। ज्ञान के स्रोत से। आत्म चैतन्य हो। प्रेम से धन्य हो॥1॥ भावना प्रेम हो। कामना क्षेम हो। वेद का ज्ञान हो। कर्म में...
संजीव सर ,बहुत गहराई हैं आपकी कविता मॆ.
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय आलोक जी.
Deleteसुंदर भावो की अनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर आभार आपका आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी. सादर नमन
ReplyDeleteसुंदर जीवन दर्शन , सादर बधाई आदर्णीय संजीव सर जी , आदर्णीय सपन सर जी बेहतरीन ब्लोग हेतु हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसादर आभार आपका आदरणीया.
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