Sunday, 23 November 2025

पुस्तक संसार - एक गीत

 

ज्ञान का भंडार संचित पुस्तकें आधार हैं,
पुस्तकें ही आज जग में प्रेरणा संस्कार हैं।

पुस्तकों से प्यार करते आदमी गुणवान हैं,
पुस्तकों से ही बढ़े हैं चिंतकों के ज्ञान हैं,
चिंतकों के अनुभवों के पुस्तकों में सार हैं।
पुस्तकें ही आज जग में प्रेरणा संस्कार हैं।।

जो किताबों को सजाते किन्तु पढ़ पाते नहीं,
वे नदी के पास रहकर तृप्त जग पाते नहीं,
पुस्तकों से प्रेम करते मानते संसार हैं।
ज्ञान के भंडार पे बैठे हुए अधिकार हैं।।

सभ्यता के द्वार सारे पुस्तकें ही खोलती,
देश की गौरव कथायें पुस्तकें ही बोलती,
शोध करने पोथियों में संग्रहित भंडार हैं।
है सुरक्षित शोध करने, खूब ग्रंथागार हैं।।

*** लक्ष्मण लड़ीवाला 'रामानुज'

1 comment:

  1. मजमून 6020पर सृजित गीत को ब्लॉग पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।

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