अब तक मुक्त किया भारत को लड़कर सब गद्दारों से।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।।
पौरष हो या भले सिकन्दर जीत न पाए भारत को।
अफगानी, तुर्की भारत की, समझे नहीं महारत को।
आंको हमको मौर्यकाल की सीमा के विस्तारों से।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 1।।
तक्षशिला, नालंदा से हम विश्व गुरू कहलाते थे।
दुनिया भर के छात्र तभी तो भारत पढ़ने आते थे।
मगर आज के छात्र हिन्द के वंचित निज अधिकारों से।।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 2।।
नालन्दा प्राचीन हिन्द का ज्ञानकोश कहलाता था।
भारत का इतिहास जगत में, तब तो गौरव पाता था।।
नालन्दा को जला कर दिया वंचित बुद्ध विचारों से।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 3।।
मूल कथाएँ चुरा-चुरा इतिहास खोखला कर डाला।
तथ्य बिना अध्याय आज तक हमें रटाया है काला।।
लड़ा-लड़ा मंदिर-मस्जिद औ' गिरजाघर गुरुद्वारों से।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 4।।
कौन हिन्द के बासिंदे हैं कौन यहाँ घुसपैठीं हैं।
किसने नकली मूंछ मरोड़ी, किसने असली ऐंठीं हैं।।
असल नकल का भेद पूछना खून सनी तलवारों से।।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 5।।
नेता नौमी फेल जीत कर जब मंत्री बन जाता है।
डिग्रीधारी नौकर औ' वह शहनशाह कहलाता है।
भारत का दामन धूमिल है ऐसे पहरेदारों से
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।।6।।
नव संस्कृति से रूढ़ीवादी लोग आज घबराते हैं।
इसीलिए वह संविधान से बार-बार टकराते हैंं।।
शिक्षित कभी डरा न डरेगा मूरख और गँवारों से।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 7।।
सत्ता के चाबुक ने जब-जब जन आवाज दबाई है।
लोकतंत्र ने अधिकारों की तब-तब लड़ी लड़ाई है।
जर्रा-जर्रा तक वाकिफ है आजादी के नारों से।।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 8।।
उठो देश के युवा सैनिको अधिकारों की मांग करो।
संविधान के लिए जियो या संविधान के लिए मरो।।
संविधान का कभी समर्थक डरा नहीं ललकारों से।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 9।।
जनगण मन अधिनायक जय हे जब-जब 'गौतम' गाएगा।
भारत माँ का बच्चा-बच्चा, इंकलाब फिर लाएगा।।
भारत वंचित भगतसिंह-से नहीं हुआ सरदारों से।
अभी मुक्त करना बाकी है जयचन्दी मक्कारों से ।। 10।।
रामकिशोर गौतम
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