Sunday, 6 February 2022

गीत - "छल-कपट"


विश्व पटल पर लगे हुए हैं,
छल और कपट के मेले!
सच्चाई फुटबॉल हो गई,
जिसे देखिए वह खेले!!

छल प्रपंच की सजी दुकानें,
उनके चमके हैं धंधे!
सच्चाई सब त्याग झूठ को,
क्रय करते हो कर अंधे!!
मदिरालय में पंक्ति बद्ध हैं,
गलियों में गोरस ठेले!

मक्कारी की हाट गर्म है,
मंचों से बँटते वादे!
पाँच वर्ष तक इन छलियों को,
जनता फिरती है लादे!!
धंधे में रत पढ़े लिखे हैं,
बेबस बेचें सब केले!

हरी चढ़ी है ऐनक सब के,
सब हरा दिखाई देता!
जितने ज्यादा चलें मुकदमें,
बनता है वही विजेता!!
सच्चाई बीमार पड़ी है,
झूठों के रेलम पेले!

विश्व पटल पर लगे हुए हैं,
छल और कपट के मेले!!

चंद्र पाल सिंह "चंद्र" 

No comments:

Post a Comment

"फ़ायदा"

  फ़ायदा... एक शब्द जो दिख जाता है हर रिश्ते की जड़ों में हर लेन देन की बातों में और फिर एक सवाल बनकर आता है इससे मेरा क्या फ़ायदा होगा मनुष्य...