छन्न पकैया छन्न पकैया, जीवन एक कहानी।
जब जी चाहे पढ़ लें इसको, होती नहीं पुरानी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, किस्सा नहीं अकेला।
थोड़े सच्चे थोड़े झूठे, शब्दों का है मेला ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, पक्की बनी सहेली।
रस ले-ले करके कथा कही, सुन्दर नई नवेली।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, कुछ हैं झूठे सच्चे।।
अफ़वाह कथा के अंतर को, समझ न पाए कच्चे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, ग्रंथ बने हैं मोटे।
इतिहास कथाओं में भी हैं, धर्म बड़े या छोटे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, सुन्दर किस्सागोई।
मुंगेरीलाल सजाते हैं, स्वप्न भरी बटलोई।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, सार्थक लिखें कहानी।
प्रेमचंद ने सदा लिखी है, जीवन कथा सुहानी।।
ऋता शेखर 'मधु'
हमारी रचना को यहाँ पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार !!
ReplyDelete