युद्ध लड़ते हैं सैनिक
बम, बन्दूक, तोप, मिसाइलों से
लिखते हैं विनाश की महागाथा,
औरतें युद्ध नहीं लड़तीं
पर युद्ध में चला हर हथियार प्रहार करता है,
औरत के तन पर!
युद्ध से पहले,
युद्ध में,
युद्ध के सालों बाद तक
युद्ध लड़तीं हैं औरतें!
विजेता राष्ट्र से,
पराजित राष्ट्र में
तन की समर भूमि पर,
अदृष्ट रहकर,
चीख-चीत्कार, दर्द-जख्म, आहें-ऑंसू ,
प्रताड़न और अपमान का
पुरस्कार झेलतीं हैं झोली में
रण वीरों के जयघोषों के बीच !
नहीं मिलेगा किसी शहीद स्मारक पर
किसी शहीद औरत का नाम!
हर शहीद की सलामी का बूट
पड़ता है औरत की छाती पर
और रक्तस्राव होता है कोख में!
नज़रों के भालों से छिद जाती है रोमावलियाॅं
तपती दृष्टियों से जल जाती है देहयष्टी,
पर औरतें कभी मरती नहीं हैं युद्ध में!
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डॉ. मदन मोहन शर्मा
सवाई माधोपुर, राज.
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