Sunday 30 September 2018

यश या अपयश


बाज़ार में बिकते हैं आज
कीर्ति-ध्वज
यश-पताकाएं,
जितनी चाहें
घर में लाकर
सजा लें,
कुछ दीवारों पर टांगे
कुछ गले में लटका लें
नामपट्ट बन जायेंगे
द्वार पर मढ़ जायेंगे
पुस्तकों पर नाम छप जायेंगे
हार चढ़ जायेंगे
बस झुक कर
कुछ चरण-पादुकाओं को
छूना होगा
कुछ खर्चा-पानी करना होगा
फिर देखिए
कैसे जीते-जी ही
अपनी ही मूर्तियों पर
आप
अपने-आप ही हार चढ़ायेंगे।

*-*-*-*-*-
*** कविता सूद ***

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