Sunday, 23 September 2018

कुछ दोहे



राज काज का चल रहा, जैसे तैसे काम। 
साधन का टोटा बहुत, कर से त्रस्त अवाम॥
***
महँगाई का कुछ मिला, तोड़ नहीं जब हाय।
ध्यान हटाने को करें, नेता रोज उपाय॥ 
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बाबा सोचे आजकल, नई नई नित युक्ति। 
उनको लक्ष्मी प्राप्त हो, भक्त जनों को मुक्ति॥ 
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वही पुराने टोटके, साड़ी दारू नोट। 
देकर सभी चुनाव में, नेता मांगे वोट॥ 
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सत्तर सालों बाद भी, निर्धन है मजबूर। 
मिटे ग़रीबी युक्ति वह, अब तक सबसे दूर॥ 
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फिर घर घर जाने लगे, नेता देख चुनाव। 
किस विधि अबकी वोट का, पार करें दरियाव॥ 
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ऐसा करें उपाय सब, शिक्षा बढे अपार। 
लक्ष्मी स्वयं पधार कर, दस्तक दें नित द्वार॥ 
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*** गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' ***

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