राज काज का चल रहा, जैसे तैसे काम।
साधन का टोटा बहुत, कर से त्रस्त अवाम॥
***
महँगाई का कुछ मिला, तोड़ नहीं जब हाय।
ध्यान हटाने को करें, नेता रोज उपाय॥
***
बाबा सोचे आजकल, नई नई नित युक्ति।
उनको लक्ष्मी प्राप्त हो, भक्त जनों को मुक्ति॥
***
वही पुराने टोटके, साड़ी दारू नोट।
देकर सभी चुनाव में, नेता मांगे वोट॥
***
सत्तर सालों बाद भी, निर्धन है मजबूर।
मिटे ग़रीबी युक्ति वह, अब तक सबसे दूर॥
***
फिर घर घर जाने लगे, नेता देख चुनाव।
किस विधि अबकी वोट का, पार करें दरियाव॥
***
ऐसा करें उपाय सब, शिक्षा बढे अपार।
लक्ष्मी स्वयं पधार कर, दस्तक दें नित द्वार॥
***
*** गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' ***
No comments:
Post a Comment