Sunday, 1 April 2018

सुषमा अति न्यारी



काशमीर सुषमा अति न्यारी
मन हरसै लखि केसर क्यारी

फूलहिं सुमन विविध विधि बागा
सुचि गृह बहहिं अनेक तड़ागा


पुष्प वाटिका सोहति नीकी
सुषमा अमर पुरी लगि फीकी
बहु बिधि फलहिं सेव अंजीरा
देखि छटा मन धरहि न धीरा


बाग निशात लगे मन भावन
दृश्य मनोहर हिम गिरि पावन
डल की छटा देखि हरषाई
सबहि रहे निज नयन जुड़ाई


मोहहि शाली मार बगीचा
लगे बिछे हैं पुष्प गलीचा
मुगल बाग की शोभा न्यारी
मन हरि लेत सुमन हर क्यारी


*** चन्द्र पाल सिंह ***

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