1-
भीष्म सा मत आप, प्रण करना कभी।
जाँच लें गुण-दोष, पथ चलना तभी।।
हो प्रतिज्ञाबद्ध, पछताना पड़े।
ज्यों पितामह भीष्म, बेबस हो लड़े।।
2-
क्यों कहें हम आज, प्रण करना कभी।
राष्ट्रहित में कार्य, यह कर लें अभी।।
दृढ़ करें संकल्प, मिलकर हम सभी।
रह सके अक्षुण्ण, आजादी तभी।।
3-
दूध माँ का धन्य, हो पाए तभी।
देश के रक्षार्थ, प्रण लेना कभी।।
हो परस्पर मेल, हृदय विशाल हों।
भारती के लाल, एक मिसाल हों।।
4-
हौसला हो साथ, मंजिल तब मिले।
और दृढ़ संकल्प, से पर्वत हिले।।
हो इरादा नेक, जब बढ़ना तभी।
प्राप्त होगा लक्ष्य, प्रण करना कभी।।
***हरिओम श्रीवास्तव***
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