ख़ुद में सारा जहान रखते हैं
दिल में हिन्दोस्तान रखते हैं
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वक़्त आने पे ये दिखा देंगे
हम हथेली पे जान रखते हैं
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हमको माटी मिली है भारत की
इसपे कितना गुमान रखते हैं
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बुद्ध और युद्ध की विरासत को
देखिये हम समान रखते हैं
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गंग-जमुनी के रँग में डूबी
कितनी मीठी ज़ुबान रखते हैं
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यूँ तो संयम का नाम है भारत
पर गज़ब का उफान रखते हैं
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हमको झुकना भी ख़ूब आता है
और सीना भी तान रखते हैं
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हमने दुनिया को है दिखाया ये
बैरियों का भी मान रखते हैं
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दीपक कुमार शुक्ला
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