दीदी यही क़िताब तुम, पढ़ती रहती रोज।
बोलो कौन सवाल का, उत्तर रहती खोज।।
लब खोलो औ" बोल दो, क्या है इसमें राज।
मेरी ये ज़िद मान लो, राज खोल दो आज।।
री बहना तू रूठ मत, सच बतलाऊँ आज।
लड़की की किस्मत बहन, होती धोखेबाज।।
यही खोजती रोज मैं, क्या है असली बात।
अपनी किस्मत में बहन, लिक्खी क्या सौगात।।
व्यर्थ गई सब कौशिशें, मिला न कोई लेख।
समझ गई है बात तो, ले अब तू भी देख।।
***** बिहारी दुबे
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