नेह का हम स्नेह भर दें जगमगाएँ दीप फिर
हो अगर उल्लास दिल में जगमगाएँ दीप फिर
हो अटल विश्वास ख़ुद पर राह पर जो बढ़ चलें
कर्म की जब लौ जलायें जगमगाएँ दीप फिर
वेदना के रात दिन बहते हैं आँसू आँख से
वो ख़ुशी के गाएँ नगमें जगमगाएँ दीप फिर
बाग़ में खिलती जो कलियाँ वो अगर महफूज़ हों
तब चमन महके जहाँ में जगमगाएँ दीप फिर
दीनता लाचारगी से जी रहे जो ज़िन्दगी
जो गले उनको लगायें जगमगाएँ दीप फिर
***** प्रमिला आर्य
कर्म की जब लौ जलायें जगमगाएँ दीप फिर
वेदना के रात दिन बहते हैं आँसू आँख से
वो ख़ुशी के गाएँ नगमें जगमगाएँ दीप फिर
बाग़ में खिलती जो कलियाँ वो अगर महफूज़ हों
तब चमन महके जहाँ में जगमगाएँ दीप फिर
दीनता लाचारगी से जी रहे जो ज़िन्दगी
जो गले उनको लगायें जगमगाएँ दीप फिर
***** प्रमिला आर्य
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