Sunday 23 August 2015

कुण्डलिया छंद


लोकोक्ति" *एक और एक ग्यारह" * पर
एक कुण्डलिया छंद 


मिलकर साधे काम सब, सधे सभी के काम।
एक और एक ग्यारह, ताकत का आयाम।।
ताकत का आयाम, शक्ति को हम पहचाने।
चले वक्त के साथ, साथ की ताकत जाने

लक्ष्मण करना काम, कभी न अकेले पिलकर

मन में हो सद्भाव, साध ले सारे मिलकर
।।


-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

2 comments:

  1. सहज साहित्य ब्लॉग में कुण्डलिया छंद को प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार श्री विश्वजीत सपन जी । सादर

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    1. सादर स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी.
      सादर नमन

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