Sunday, 19 January 2025

धर्म पर दोहा सप्तक

 

धर्म बताता जीव को, पाप-पुण्य का भेद।
कैसे जीना चाहिए, हमें सिखाते वेद।।

दया धर्म का मूल है, यही सत्य अभिलेख।
करे अनुसरण जीव जो, बदले जीवन रेख।।

सदकर्मों से है भरा, हर मजहब का ज्ञान।
चलता जो इस राह पर, वो पाता पहचान।।

पंथ हमें संसार में, सिखलाते यह मर्म
जीवन में इन्सानियत, सबसे उत्तम कर्म।।

चलते जो संसार में, सदा धर्म की राह।
नहीं निकलती कष्ट में, उनके मुख से आह।।

धर्म - कर्म से जो भरे, अपनी गागर नित्य।
उसके पुण्यों का नहीं, ढलता फिर आदित्य।।

मजहब तो इंसान का, प्रेम सुधा आनन्द।
लगा दिए संसार ने, नफरत के पैबंद।।

*** सुशील सरना

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धर्म पर दोहा सप्तक

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