Sunday, 28 September 2025
माता का उद्घोष - एक गीत
Sunday, 21 September 2025
मौत की बारात निकली, ज़िंदगी हैरान है।
Sunday, 14 September 2025
रजत चंद्रिका - एक गीत
Sunday, 7 September 2025
मेरे मीत - एक गीत
Sunday, 31 August 2025
दुर्मिल सवैया - गणपति वंदना
सिर
शोभित हेम
किरीट गजानन मूषक वाहन प्रेम करे।
उपवीत
मनोहर कंध पड़ा अरु मोदक के कर थाल धरे।
फल में
प्रिय जामुन कैथ
लगें उर
पाटल फूलन हार परे।
मुख
पान सुपारि सुलौंग चवें सुख दायक हो सब क्लेश हरे।
जड़ता
उर की प्रभु नष्ट करो प्रथमेश विराजित हो मन में।
हर लो
तम नाथ घना जग का सुख शांति भरो सबके तन में।
प्रभु मंगल पूर्ण बयार चले जग के हर शोभित
आंगन में।
कविता
सविता सम भोर लिए थिरके नव ज्योति तभी वन में।
अर्चना
बाजपेयी
हरदोई
उत्तर प्रदेश।
Sunday, 24 August 2025
रिश्ता क्या होता है
Sunday, 17 August 2025
मन से कटुता दूर हटाएँ - एक गीत
Sunday, 10 August 2025
वर्तमान विश्व पर प्रासंगिक मुक्तक
Sunday, 3 August 2025
कहीं धसकते शैल-शिखर हैं, कहीं डूबते कूल-कछार - एक गीत



Sunday, 27 July 2025
बारिश में - एक ग़ज़ल
आज रोया जो सुबह उठ के
शहर बारिश में
याद आया है टपकता हुआ
घर बारिश में
जोर से बरसी घटा झूम
उठा गाँव मेरा
डर के छत पर है चढ़ा
तेरा नगर बारिश में
खेत खलिहान तलैया हैं
खड़े सज धज के
नालियाँ घर में घुसी बन
के नहर बारिश में
मोर नाचे हैं मुंडेरों
पे जो गरजे बादल
भूख करती है सड़क रोक
सफ़र बारिश में
भीग कर हमने लिया खूब
ठिठुरने का मजा
बेवजह तुमको है बीमारी
का डर बारिश में
रूप निरखे हैं तलाबों
में निखर के कुदरत
तू ने देखी है तबाही की
खबर बारिश में
बाढ़ से सच में बहुत
ज्यादा है नुकसान इधर
लाभ लेकर भी है तू सूखा
उधर बारिश में
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डॉ. मदन मोहन शर्मा
सवाई माधोपुर, राज.
Sunday, 20 July 2025
"मैं" थोड़ा कम और "तुम" थोड़ा ज़्यादा - एक कविता
माता का उद्घोष - एक गीत
आ गयी नवरात्रि लेकर, भक्ति का भंडार री। कर रही मानव हृदय में, शक्ति का संचार री॥ है प्रवाहित भक्ति गङ्गा, शिव-शिवा उद्घोष से, आज गुंजित गग...

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पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
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जब उजड़ा फूलों का मेला। ओ पलाश! तू खिला अकेला।। शीतल मंद समीर चली तो , जल-थल क्या नभ भी बौराये , शाख़ों के श्रृंगों पर चंचल , कुसुम-...