Sunday 4 December 2022

बीती ताहि बिसारि दे

 

बीती ताहि बिसार दे, मत कर उसको याद।
बुरा समय अब जा चुका, सुख है इसके बाद।
सुख है इसके बाद, सुनहरे सपने देखो।
हो भविष्य निर्माण, सोच कर निश्चय लेखो।
मन में करो प्रतीति, मान लो बाजी जीती।
जियो खुशी से मीत, भूल सब बातें बीती।।

बीती ताहि बिसार दे, वर्तमान को देख।
सोच-समझ कर पाँव रख, ऊँची-नीची रेख।
ऊँची-नीची रेख, धरातल नहीं एक-सा।
आस-पास का दृश्य, मिले नहि कहीं एक-सा।
बसी हृदय में चाह, नहीं रह जाए रीती।
चढ़ो नए सोपान, भूल पहले की बीती।।

*** डॉ. राजकुमारी वर्मा

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