चंदा दो आशीष पिया को,उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।
ज्योतिर्मय हो कर्मक्षेत्र अब, धर्मक्षेत्र उजियारा हो।
हृदय भाव हों पुलकित-पुलकित,मृदुल बोल का जयकारा।
चार सुखो के धारी हों अरु, जीवन सफल हमारा हो।
चंदा दो आशीष पिया को, उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।
सपनों की फुलझड़ियाँ चमकें, मधु स्मृतियाँ बनीं रहें।
पति सेवा में हरदम चंदा, बाँहें मेरी तनीं रहें।
ओ चाँद तेरी चाँदनी का,अद्भुत यहाँ नजारा हो।
चंदा दो आशीष पिया को,उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।
गर नीर बहें तो परदुख में, प्रभु सेवा में लगी रहूँ।
कष्ट समय में भी चंदा मैं, पति से कुछ भी नहीं कहूँ।।
मेरे घर में प्यारे चंदा, कभी नहीं अँधियारा हो।
चंदा दो आशीष पिया को, उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।
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@ सर्वाधिकार सुरक्षित
ठा. सुभाष सिंह, कटनी, म.प्र.
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