छिपी गूढ़ता इन बातों में, होता यह आभास,
कर्म करो तुम अपना भाई, बनना नहीं ख़बास।
नहीं गुलामी करो किसी की, कितना भी हो खास,
बन सकते तो बन कर रहना, केवल प्रभु का दास।
ज्ञानी जी की इन बातों को, समझ न भाई आम,
सत्य वचन कह गये मलूका, सबके दाता राम।
अजगर की फुर्ती तुम देखो, जब वह करे शिकार,
भोजन हित पंक्षी को देखो, मिहनत करे अपार।
होता है श्रम का फल मीठा, जान रहा संसार,
करो अगर निष्काम कर्म तो, देता फल दातार।
सच्चे सौदे का मिलता है, सुन्दर समुचित दाम,
सत्य वचन कह गये मलूका, सबके दाता राम।
मन में रख विश्वास राम का, जब हम करते कर्म,
आत्मशक्ति संवर्धन होता, है जीवन का मर्म।
जीव जन्तु पादप गण सब ही, कुदरत की संतान,
जन्म मृत्यु सब उनके कर में, राम रखे सब ध्यान।
भटक जाय यदि भक्त मार्ग से, प्रभु लेते कर थाम,
सत्य वचन कह गये मलूका, सबके दाता राम।
*** शशि रंजन 'समदर्शी'
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