Monday, 19 September 2022

निज भाषा - सरसी छंद

 

निज भाषा के द्वारा मानव, खोले मन का द्वार।
व्यक्त विचारों को करने का, भाषा है आधार।।
आज विश्व में होती सब की, भाषा से पहचान।
किसी देश की भाषा से ही, हो विकास अनुमान।।

अंग्रेजी की चकाचौंध में, हिंदी से हम दूर।
उच्च ज्ञान के हित अंग्रेजी, पढ़ने को मजबूर।।
निज भाषा में सभी पढ़ाई, देना है अंजाम।
बने राष्ट्र की भाषा हिंदी, तभी बनेगा काम।।

***चंद्र पाल सिंह "चंद्र"

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