वाणी से कर दे क्षमा, वही नेक इंसान ।
नत-मस्तक होता वही, बनता सदा महान ।।
बनता सदा महान, वृक्ष ऊपर उठ झुकता ।
करता रहे घमण्ड, किसी की वह कब सुनता ।।
हुआ किसी को कष्ट, भले कोई हो प्राणी ।
क्षमा करेंगे आप, सभी सुन मेरी वाणी ।।
भूषण मानव का क्षमा, वीरों की पहचान ।
कायर करता घात है, वीर क्षमा का दान ।।
वीर क्षमा का दान, करे उसकी सज्जनता ।
दीन-हीन को लूट, दिखाते कुछ दुर्जनता ।।
मिले भूल से कष्ट, नहीं दो उसको दूषण ।
सन्तों का सन्देश, क्षमा मानव का भूषण ।।
भूले भटके ही सही, दिया अगर हो घात ।
क्षमा मुझे करना जरा, भूल पुरानी बात ।।
भूल पुरानी बात, मधुर सम्बन्ध बनाएं ।
कटुता के ये भाव, दिलों से आज हटाएं ।।
करने मेल-मिलाप, प्रेम का झूला झूले ।
क्षमा पर्व पर आज, चलो अब कटुता भूले ।।
*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
हार्दिक आभार आद. Vishwajeet Sapan जी ।
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