Sunday, 3 July 2022

धरा हुई है धानी

 



खेतो में छाई हरियाली, धरा हुई है धानी
उमड़-घुमड़ घन काले छाएरिमझिम बरसे पानी

सपन सँजो कर गोरी बोए, पौधे सँग तकदीरें
पीले हाथों में सजना सँग, होंगी अब तस्वीरें
डोली जाएगी बाबुल के आंगन से जब मेरी
पिया मिलन की बेला में तब, होगी भौर सुहानी
खेतो में छाई हरियाली, धरा हुई है धानी

कर्ज़ मुक्त बापू होगा तो, माँ को चैन मिलेगा
दूर देस भाई पढ़ आए, मन का फ़ूल खिलेगा
अफ़सर बन वो आएगा जब लम्बी सी गाड़ी में
लाएगा भाभी मेरी वो परियों की जो रानी
खेतो में छाई हरियाली, धरा हुई है धानी

अब के बोलूंगी राखी पर बेशक़ कुछ मत देना
माँ की साड़ी पिता की ऐनक एक नहीं दो लेना
इतने से क्यूँ काम चलेगा बोलूंगी भाई को
मुझको भी साइकिल ले देना बेशक नई पुरानी
खेतो में छाई हरियाली, धरा हुई है धानी

सूरजपाल सिंह,
कुरुक्षेत्र।

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