Sunday 17 July 2022

गुरु प्रसाद

 

गुरु सहज अंतस तमस में दीप धर देता।
दूर कर अवसाद पावन ज्योति भर देता।

तत्व गुरु निर्गुण सगुण चैतन्य धारा है।
प्रेम श्रद्धा आसरा विश्वास सारा है।
गुरु कृपा घन वेदना से दीन क्षर देता।
दूर कर अवसाद पावन ज्योति भर देता।

हो सुसंस्कृत आचरण शुभ खींचता है मन।
जीव हो या पुष्प परिमल सींचता है तन।
ज्ञान निज का गुरु बनें तो जीत वर देता।
दूर कर अवसाद पावन ज्योति भर देता।

अनवरत हम सीखते हैं मानते कम हैं।
है प्रकृति यह सद्गुरू पर जानते कम हैं।
चक्षु करुणा से भरे गुरु धीर स्वर देता।
दूर कर अवसाद पावन ज्योति भर देता।

कृष्ण गीता ज्ञान जीवन सार विस्तृत है।
आचरण श्री राम का प्रति याम चित्रित है।
गुरु स्वजन अवचेतना नवनीत कर देता।
दूर कर अवसाद पावन ज्योति भर देता॥

*** सुधा अहलुवालिया

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