महल दुमहले भवन अटारी, छोड़ यहीं सब जाएगा।
खाली हाथों आया बन्दे, खाली हाथों जाएगा।
घेर लिया माया ने तुझको, ऐसी तेरी मति फेरी।
जाल बिछाया बाँधा तुझको, भुला अस्मिता दी तेरी।
जरा याद कर लाया था क्या, क्या लेकर के जाएगा।
खाली हाथों आया बन्दे, खाली हाथों जाएगा।
मान किराए का घर इसको, बिना मोह के रहना है।
कब खाली करना पड़ जाए, निश्चित सबका कहना है।
भार नहीं लेना कुछ मन पर, सभी यहीं रह जायेगा।
खाली हाथों आया बन्दे, खाली हाथों जाएगा।
करना है कर्तव्य मात्र बस, रिश्ते मधुर बनाने हैं।
मिले यहाँ फिर सब छूटेंगे, साथ नहीं ये जाने हैं।
रंगमंच पर निभा भूमिका, पुनः विरत हो जाएगा।
खाली हाथों आया बन्दे, खाली हाथों जाएगा।
जीना है आसान जगत में, सरल राह बस चुन ले तू।
मात्र आसरा प्रभु का ले ले, राम नाम मन गुन ले तू।
राम नाम की नाव बैठ भव, सिंधु पार कर जाएगा।
खाली हाथों आया बन्दे, खाली हाथों जाएगा।
*** डॉ. राजकुमारी वर्मा
कितना सुंदर लिखा है अपने अगर आप सब भी ऐसे ही उत्तर प्रदेश की संस्कृति के बारे में लेख पढ़ना चाहते है।
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