कभी कभी बदनामियाँ, कर देती हैं नाम।
कभी कभी तनहाइयाँ, देती हैं आराम।।
कभी कभी मदहोशियाँ, ले लेती हैं जान।
कभी कभी रुसवाइयाँ, छीनें हर मुस्कान।।
कभी कभी अठखेलियाँ, आ जाती हैं याद।
कभी कभी गुस्ताखियाँ, कर दें सब बर्बाद।।
कभी कभी चालाकियाँ, कर देतीं नुक्सान।
कभी कभी मन-मर्जियाँ, कम कर दें सम्मान।।
कभी कभी बदमाशियाँ, छेड़ें दिल के तार।
कभी कभी नादानियाँ, भर दें दिल में प्यार।।
कभी कभी खामोशियाँ, करती हैं आवाज़।
कभी कभी दुश्वारियाँ, कर देतीं नाराज़।।
कभी कभी चिंगारियाँ, भड़काती हैं आग।
कभी कभी मजबूरियाँ, लगवा देतीं दाग।।
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गुरचरन मेहता 'रजत'
Malhar Bilaspur Chhattisgarh
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