(पिंगल सूत्र - र ज र ज ग)
कामदेव ले रहे हिलोल झील में।
चाह चाशनी मिठास घोल झील में।
चंचु चूम प्रेम रास रंग में डुबा।
हंस हंसिनी करे किलोल झील में।।
शांत नील नीर की विभा विमोहिनी।
श्वेत युग्म हंस प्रीत मग्न मोदिनी।
हो गया विभोर देख दिव्य दृश्य मैं।
मुक्ति दे प्रमाद से प्रिया प्रबोधिनी।।
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शशि रंजन 'समदर्शी'
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