Sunday, 3 April 2022

छंद - राग (वार्णिक 13 मात्रा)





(पिंगल सूत्र - र ज र ज ग)

कामदेव ले रहे हिलोल झील में।
चाह चाशनी मिठास घोल झील में।
चंचु चूम प्रेम रास रंग में डुबा।
हंस हंसिनी करे किलोल झील में।।

शांत नील नीर की विभा विमोहिनी।
श्वेत युग्म हंस प्रीत मग्न मोदिनी।
हो गया विभोर देख दिव्य दृश्य मैं।
मुक्ति दे प्रमाद से प्रिया प्रबोधिनी।।

=========

शशि रंजन 'समदर्शी' 

No comments:

Post a Comment

वर्तमान विश्व पर प्रासंगिक मुक्तक

  गोला औ बारूद के, भरे पड़े भंडार, देखो समझो साथियो, यही मुख्य व्यापार, बच पाए दुनिया अगर, इनको कर दें नष्ट- मिल बैठें सब लोग अब, करना...