Sunday 3 October 2021

मर्म क्या है

 


क्रोध गुण है क्रोध अवगुण, जानिए क्या मर्म है
हो सुनिश्चित क्रोध-सीमा, तो यही सत्कर्म है
नवसृजनकर्ता कभी, विध्वंसकारी क्रोध ये
बुद्धिहर्ता क्रोध निश्चित, युद्ध में यह धर्म है

क्रोध दुर्वासा कभी तो, क्रोध भृगुपति नाम था
क्रोध में शिव ने किया जब,भस्म मनसिज काम था
क्रोध में घननाद तो सौमित्र थे प्रतिशोध में
प्रार्थना निष्फल हुई तब, राम बोले क्रोध में
भय बिना है प्रीति मुश्किल जलधि को क्या शर्म है
क्रोध गुण है क्रोध अवगुण, जानिए क्या मर्म है

द्रोपदी के कच खुले, यह युद्ध का आह्वान था
पांडवों के आत्मबल का, शक्ति पुनरुत्थान था
भीष्म सन्मुख बाण थे, गतिहीन अर्जुन के वहाँ
कृष्ण क्रोधित हो उठे, पहिया उठाया था तहाँ
भीष्म बोले नाथ स्वागत , धन्य मेरा चर्म है
क्रोध गुण है क्रोध अवगुण, जानिए क्या मर्म है

क्रोध है उद्विग्नता पर, क्रोध क्षमता-सार है
क्रोध उत्तम अस्त्र है, इस पर अगर अधिकार है
क्रोध प्रहरी क्रोध डाकू, क्रोध को पहचानिए
क्रोध आना क्रोध लाना, हैं पृथक कृत जानिए
मीत वैरी क्रोध है, हंता यही यह वर्म है
क्रोध गुण है क्रोध अवगुण, जानिए क्या मर्म है

सरदार सूरजपाल सिंह, कुरुक्षेत्र।
1.भृगुपति-परशुराम
2.मनसिज- मन में उठने वाली वासना 2. कामदेव; पुष्यधन्वा; रतिपति।
3.घननाद-मेघनाथ, इंद्रजीत
4.कच- केश
5.वर्म -कवच, बख़्तर।

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