Sunday, 25 July 2021

कर्तव्य

 



मानव का कर्तव्य है, सहज निभाए फ़र्ज,
बहुत जरूरी है यही, करता हूँ मैं अर्ज,
बातों में मत टालना, मूल-मंत्र यह एक,
हम सबका दायित्व है, समझो सिर पर कर्ज।।

फ़र्ज निभाते वीर सब, हो जाते कुर्बान,
संकल्पित वे सब खड़े, अपना सीना तान,
दुश्मन जब सम्मुख मिले, देते सीना चीर,
मन में उत्कट भावना, बढ़े देश का मान।।

क्या अपना कर्तव्य है, रहे सदा यह ध्यान,
इसे निभाते वीर जो, पाते हैं सम्मान,
कष्टों से डरते नहीं, देते सबको साथ,
प्रतिफल इसका है सुखद, जग करता गुणगान।

*** मुरारि पचलंगिया *** 

No comments:

Post a Comment

मंगलमयी सृष्टि हो मन-कामना - एक गीत

  हो कृपा की वृष्टि जग पर वामना । मंगलमयी सृष्टि हो मन-कामना॥ नाव मेरी प्रभु फँसी मँझधार है, हाथ में टूटी हुई पतवार है, दूर होता ...