Sunday, 15 November 2020

दीपोत्सव

 


दीपोत्सव त्योहार है, मना रहे सब लोग।
लक्ष्मी पूजन कर सभी, खाते छप्पन भोग।।

लाखों दीपक जल रहे, देखो बनी कतार।
चमचम गलियाँ कर रही, कहीं नहीं अँधियार।।

आतिशबाजी हो रही, बच्चे आत्मविभोर।
दादाजी यों कह रहे, बंद करो यह शोर।।

बाजारों में रौनकें, सजे पड़े सब मॉल।
माता पूजन के लिए, सजा रही है थाल।।

नये वसन सब पहन कर, खुशी मनाते लोग।
बार-बार आता रहे, ऐसा सुखद सुयोग।।

जगमग झोंपड़ियाँ करें, श्रेष्ठ यही त्योहार।
धनपतियों का आज ही, बरसा इन पर प्यार।

आपस में सब बाँटते, भिन्न भिन्न उपहार।
सामाजिकता है बड़ी, बढ़ता इससे प्यार।।


*** मुरारि पचलंगिया ***

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