Sunday 7 July 2019

नट नागर ये


रंग मंच पर
नट नागर ये
पल पल वेश बदलते


बड़े खिलाड़ी खेल जगत के
रोज तमाशे करते
कभी बाँधते पगड़ी सिर पर
कभी पाँव में धरते


नाच रहे हैं
नचा रहे हैं
रोते कभी उछलते


कभी बने हैं राजा बाबू
रंक कभी हो जाते
कभी न्याय के कभी लूट के
सबको पाठ पढ़ाते


कभी अकेले
कभी भीड़ सँग
घर से रोज निकलते


खेल -खेल में रहे खिलाते
हारे फिर से खेले
अपनी करनी अपनी भरनी
लादे कई झमेले


खेल-खेल में
खाईं खोदें
कैसे लोग सँभलते


*** बृजनाथ श्रीवास्तव ***

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