1.
एक फौज़ी,
लहूलुहान,
मिट कर
अमर हो गया।
पहन तिरंगा,
एक तन,
एक वतन हो गया।
2.
गोली,
बारूद,
धमाके,
लाशें चीखें,
धुयें की गर्द,
बस
सरहद के झगड़े का
यही था शेष,
कुछ ज़िंदगियों के
खामोश
अवशेष।
*** सुशील सरना ***
ठिठुर रही है सृष्टि हमारी, छाया हुआ अँधेरा। लिपट न पायी धूप धरा से, धुंध ने डाला डेरा॥ हिम-कण बनकर शूल बरसते, मौन हुई है वाणी। नदी-सरोवर ...